कोरोना महामारी से देश को बचाने के लिए समाजसेवी विजय झा ने किया पूरे परिवार सहित पूजा व दान का आयोजन

City: Dhanbad | Date: 18/05/2020 Admin SN24
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धनबाद/कतरास- सोमवार को रानी बाजार स्थित अपने आवास में  ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अपरा एकादशी के उपलक्ष्य में कोयलांचल के प्रसिद्ध समाजसेवी सह बियाडा के पूर्व अध्यक्ष विजय कुमार झा  एव कोयलांचल के सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवानी झा ,आई वी एफ स्पेसिलिस्ट डॉ नेहा प्रियदर्शनी ,अभियन्ता  अनंतश्री कृष्ण , अभियंता श्रीमती मनीषा मीनू आदि लोगो ने मिलकर कतरास ,सिजुआ ,पाण्डेयडीह, गुहिबआन्ध ,रामकनाली,  भगत मुहल्ला,पंजाबी मुहल्ला,केसलपुर,छाता बाद नदीकिनरे ,अंगार पथरा,लालाटोला, कतरास गढ़  एवं आस पास के लगभग 108 ब्राह्मणों को  अन्नदान व दक्षिना देकर उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया गया।ब्राह्मणों के द्वारा सोसल डेस्टनसिंग का पालन करते हुए भगवान से बैस्विक आपदा  कोरोना महामारी से शान्ति के लिये शान्ति पाठ भी किया गया। विदित हो कि कोयलांचल के प्रसिद्ध समाज सेवी विजय झा जी के द्वारा समाज के हर तबके को लोकडॉन के प्रारंभ से अनवरत विभिन्न स्थानों पर जाकर जरूरतमंद परिवारों को अनाज वितरण किया जा रहा है।साथ ही आर्य आहार केंद्र कतरास के द्वारा भी सैकड़ो जरूरतमंद परिवारों, मजदूरों को भी प्रतिदिन भोजन वितरण अनवरत चालू है।अन्न दान महादान है।इस उपलक्ष्य में ब्राह्मण समाज से पूर्व मुखिया रमेश पाण्डेय,ज्योतिर्विद  आशुतोष पाण्डेय,बिमलेश चौबे,उमाकांत तिवारी,शिवपूजन पाण्डेय,सुबोध पाण्डेय,मुकेश पाण्डेय,सूरज पाण्डेय,पवन उपाध्याय,ईस्वर तिवारी,गुड्डू तिवारी,महेंद्र पाठक, शंकर झा पत्रकार राम पाण्डेय,जीतेन्द्र पाण्डेय सीताराम जी मुन्ना झा धीरज सिंह अक्षय डे एवं गणमान्य लोगों की उपस्थिति में कार्यक्रम का आयोजन किया गया । ज्योतिर्विद आशुतोष पाण्डेय ने कहा ----दानेन प्राप्यते स्वर्गो दानेन सुखमश्नुते ।

इहामुत्र च दानेन पूज्यो भवति मानवः ॥

अर्थात  दान से स्वर्ग प्राप्त होता है, दान से ही सुख मिलता है । इस लोक और परलोक में इन्सान दान से ही पूज्य बनता है। फिर उन्होंने कहा                                                             अष्टादश पुराणेषु व्यासस्य वचनद्वयम् |

परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ||

अर्थात

महर्षि वेदव्यास जी ने अठारह पुराणों में दो विशिष्ट बातें कही हैं | पहली –परोपकार करना पुण्य होता है और दूसरी —

पाप का अर्थ होता है दूसरों को दुःख देना ।

अन्नदान जैसा दान नही है। द्वादशी जैसी पवित्र तिथी नही है। गायत्री मन्त्र सर्वश्रेष्ठ मन्त्र है तथा माता सब देवताओं से भी श्रेष्ठ है।

कानों की शोभा कुण्डलों से नहीं अपितु ज्ञान की बातें सुनने से होती है | हाथ दान करने से सुशोभित होते हैं

न कि कंकणों से | दयालु / सज्जन व्यक्तियों का शरीर चन्दन से नहीं बल्कि दूसरों का हित करने से शोभा पाता है |  अतः आज के दिन दान पूजा पाठ करने से अवश्य ही हम कोरोना जैसी महामारी को भगा सकते है।

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